AR News Digital Desk,राजस्थान में शुक्रवार सुबह से शुरू हुई पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स ने सरकार से वार्ता के बाद दोपहर 3 बजे बाद हड़ताल स्थगित कर दी है। एसोसिएशन की मांगों को लेकर सरकार की ओर से 10 दिन का समय मांगा गया है। इसके लिए कमेटी बनाई गई है।
राजस्थान में पंजाब की तरह वेट कम करने की मांग को लेकर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने बुधवार और गुरुवार को सांकेतिक हड़ताल की थी। चेतावनी दी थी कि मांगें नहीं मानी गई तो शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल रहेगी।
इसके बाद गुरुवार शाम को सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने के बाद शुक्रवार सुबह 6 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया गया। इसके बाद से सुबह से ही प्रदेश के 47 जिलों में पेट्राेल पंप बंद हो गए थे। इस पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की ओर से प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक तय की गई। मंत्री और प्रतिनिधि मंडल के बीच वार्ता के बाद सहमति बनी।
हालांकि, अलवर, कोटा, जैसलमेर, चित्तौडगढ़ और जोधपुर शहर के करीब 500 से ज्यादा पंप इस हड़ताल से अलग-अलग कारणों से बाहर हो गए थे। वहीं, प्रदेश में कंपनी संचालित 60 पंप भी काम ही संचालित हो रहे थे।
इससे पहले बुधवार और गुरुवार को भी 8-8 घंटे की सांकेतिक हड़ताल की गई थी। इस दौरान प्रदेश के करीब 7 हजार पंप बंद रहे थे।
प्रदेश के 60 कोको पंप पर मिला पेट्रोल-डीजल
प्रदेश के सभी पंपों पर पेट्रोल, डीजल व सीएनजी- एलपीजी की सप्लाई नहीं हो पाई थी। वहीं, कंपनियों की ओर से संचालित प्रदेशभर के 60 पंपों पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री हो रही थी। इनमें जयपुर के भी 8 कोको पंप शामिल थे। हड़ताल से प्रदेश के करीब से 6500 पंप बंद रहे थे।
जोधपुर-अलवर-कोटा शहर के पेट्रोल पंप खुले रहे
राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की पेट्रोल पंप हड़ताल का जोधपुर शहर में असर दिखाई नहीं दिया था। संभागीय अध्यक्ष गोपालसिंह रूदिया ने कहा था कि शहर के 74 पेट्रोल पंप खुले रहे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के पंप बंद रहे थे।
कोटा जिले में सभी पेट्रोल पंप खुले हुए थे। कोटा पेट्रोल डीजल पंप डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष तरुमित सिंह बेदी ने कहा था कि जिले के सभी 250 पंप पर बिक्री चालू रही। कल प्रतिनिधिमंडल मंत्री से मिला था, जहां आश्वासन के बाद जनता के हित को देखते हुए फिलहाल हड़ताल टाली थी।
इसी तरह जैसलमेर शहर 58 पेट्रोल पंप खुले थे। शहर के पेट्रोल पंप मालिक ना तो सांकेतिक हड़ताल में शामिल हुए और ना ही सम्पूर्ण बंद में। पंप ऑपरेटर का कहना था कि रेगिस्तानी इलाका होने की वजह से जिले में पंप कम है। काफी दूर से लोग पेट्रोल भरवाने आते हैं। उन्हें परेशानी न हो इसलिए ये निर्णय लिया गया है। वहीं चित्तौड़गढ़ शहर में भी 12 पंप में से महज 4 से 5 बंद है, जबकि बाकी पर बिक्री चालू रही थी।
टोंक जिले में भी इसका मिलाजुला असर देखने को मिला था। यहां 154 पेट्रोल पंप है। इनमें से करीब 130 से ज्यादा पंप ही बंद रहे थे। प्राइवेट कंपनी के पंप ऑपरेटर इस हड़ताल में शामिल नहीं थे। शुक्रवार को भी स्थानीय एसोसिएशन की ओर से मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे नहीं माने थे।
बिक्री घटी तो कई पेट्रोल पंप बंद हो गए थे
राजस्थान में वेट ज्यादा होने से ट्रक और बस संचालक वाहनों से पड़ोसी राज्यों पंजाब, यूपी, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली से ईंधन भरवाकर लाते हैं। इससे राज्य के 25 जिले सीधे तौर पर प्रभावित हैं। गंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे इलाकों में स्थिति ज्यादा खराब है। पंजाब से सटे होने के कारण हनुमानगढ़, गंगानगर में पेट्रोल-डीजल की तस्करी भी हो रही है। इसी वजह से पिछले चार सालों में 270 पेट्रोल पंप बंद हो चुके और कई अन्य भी बंद होने की कगार पर हैं।